सोचो ज़रा सोचो, जन्नत कैसा हो?
ये सुंदर पथ का अंत ना हों तो, कैसा हो?
ये दुनिया सपनों का देश हों तो, कैसा हो?
सभी लोग अपने हों तो, कैसा हो?
सभी धर्म एक हों तो, कैसा हो?
सारा जहान अपना हों तो, कैसा हो?
सारे जग में भाईचारा हों तो, कैसा हो?
सोचो ज़रा सोचो, सब एक दुजे का हों तो, कैसा हो?
शायद जन्नत जैसा हो, शायद जन्नत जैसा हों.
ये दुनिया सपनों का देश हों तो, कैसा हो?
सभी लोग अपने हों तो, कैसा हो?
सभी धर्म एक हों तो, कैसा हो?
सारा जहान अपना हों तो, कैसा हो?
सारे जग में भाईचारा हों तो, कैसा हो?
सोचो ज़रा सोचो, सब एक दुजे का हों तो, कैसा हो?
शायद जन्नत जैसा हो, शायद जन्नत जैसा हों.
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